जैसा की हम जानते हैं कि प्रेमानंद जी रोज रात्रि 2 बजे अपने निवास स्थल से वृंदावन की परिक्रमा में निकल जाते हैं।इसी समय लाखों की संख्या में भक्त उनके दर्शन करने के लिए रोड में खड़े हो जाते थे।इतनी ज्यादा संख्या में लोगों की भीड़ तथा ढोल नगाड़ों, जयकारों कीर्तन की आवाज से कुछ लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया।आज हम इस लेख में जानेंगे की प्रेमानंद जी की रात्रि यात्रा का विरोध क्यों हुआ? किसने किया? तथा NRI GREEN SOCIETY के लोगों का वृंदावन वासियों द्वारा तिरस्कार क्यों हो रहा है? इन सभी विषयों पर आज चर्चा करेंगे।
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Premanand ji image |
प्रेमानंद जी की रात्रि यात्रा का विरोध
प्रेमानंद जी रोज रात्रि २ बजे वृंदावन की पदयात्रा में निकल जाते हैं।जिस रास्ते से वह गुजरते हैं,उसके दोनों तरफ लाखों की संख्या में लोग उनके दर्शन मात्र के लिए इंतजार में खड़े रहते हैं।उनके दर्शन से खुश होकर हर्ष-उल्लास में नाचना,गाना, ढोल-नगाड़ों, आतिशबाजियों के साथ भक्त अपनी खुशी जाहिर करते थे। यह दिनचर्या कई सालों से चली आ रही थी।परंतु कुछ लोगों को यह शोर-गुल राश नहीं आया और उन्होंने प्रेमानंद जी की पदयात्रा का विरोध करना प्रारंभ कर दिया। हालांकि जिन्होंने इसका विरोध किया वो भी अब अपने कुकर्म पर शर्मिंदगी महसूस कर अपनी गलती को स्वीकार किया है। उनके विरोध ने प्रेमानंद जी को आघात किया और उन्होंने अपनी रात्रि पदयात्रा पर अनिश्चित काल के लिए विराम लगाते हुए,जिस रास्ते से वह पहले वृंदावन की परिक्रमा करने जाया करते थे उसे बदलना उचित समझा, ताकि किसी भी व्यक्ति को उनकी दैनिक क्रिया से परेशानी न हो।
यात्रा विरोध के बाद प्रेमानंद जी ने क्या कहा?
प्रेमानंद जी ने अपनी यात्रा विरोध पर बड़ी ही सहजता से कहा कि "हम सभी को खुश देखना चाहते हैं ,बृजवासी मेरे आराध्य देव हैं,मैं उन्हें कभी दुख नहीं पहुंचा सकता।अगर किसी को दुख लगे तो हम सब बंद कर सकते हैं।हम यहां सभी को सुख देने के लिए बैठे हैं दुख देने के लिए नहीं।अगर बृजवासी हमें गाली भी देते हैं तो भी हम उनके समक्ष अपना सर झुका कर ही रहेंगे।" हम भलीभांति जानते हैं की प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचनों से ऐसे कई लोगों के अंदर के वैमनस्य,गंदे आचरण तथा कई प्रकार की बुराइयों को सहज ही नष्ट किया है,जिनसे छुटकारा पाना केवल मृत्यु के बाद ही संभव था। NRI Society के लोगों के बारे में प्रेमानंद जी ने कहा कि "हमारी प्रार्थना है उन लोगों से हम आपका कभी भी अहित नहीं कर सकते और न ही सोच सकते हैं।आप कभी भी हमारे धाम में आ सकते हैं।उनके लिए हमारे अंदर हीन भावना कभी भी उत्पन्न नहीं हो सकती।"
प्रेमानंद जी की यात्रा का विरोध किसने किया?
प्रेमानंद जी की रात्रि यात्रा का विरोध NRI GREEN SOCIETY के लोगों ने किया। उनका कहना था कि "इनकी पदयात्रा में लाखों की संख्या में लोगों का जमावड़ा लग जाता है।लोग हो-हल्ला मचाते हैं तथा आतिशबाजियों के साथ ध्वनि प्रदूषण करते हैं, जोर-जोर से कीर्तन करते हैं।हमारे छोटे-छोटे बच्चे, बुजुर्ग परिजनों को रात में नींद नहीं आती है,इसलिए इस यात्रा को बंद कर देना चाहिए।" यह सोसाइटी प्रेमानंद जी के पदयात्रा मार्ग पर ही पड़ती है। कई सालों से इस यात्रा के चलन से और साल दर साल लोगों की बढ़ती भीड़ से ये परेशान थे। जिस कारण उन्होंने इस यात्रा का विरोध किया।
NRI green society के लोग कौन हैं?
NRI green नाम से एक colony है जो प्रेमानंद जी के यात्रा मार्ग में ही पड़ती है। इस कॉलोनी में रहने वाली महिलाओं व लोगों ने यात्रा के विरुद्ध अपनी नाराजगी जताई है।
प्रेमानंद जी की यात्रा का विरोध क्यों हुआ?
जिन लोगों ने भी प्रेमानंद जी की यात्रा का विरोध किया है उन्होंने विरोध करने का कारण रात में आतिशबाजियों का शोर, ढोल- नगाड़ों की आवाज के चलते नींद में विघ्न पड़ना बताया है।
प्रेमानंद जी की यात्रा के विरोधियों को धीरेन्द्र शास्त्री जी ने क्या कहा?
प्रेमानंद जी की रात्रि २ बजे की यात्रा का विरोध करने वाले व्यक्तियों पर तंज कसते हुए धीरेन्द्र शास्त्री जी ने कहा-" इस यात्रा से जिनके पेट में दर्द है वो दिल्ली चले जाएं नहीं तो उनकी ठठरी बांध देंगे।" उन्होंने विरोधियों के लिए ' दानव ' जैसे शब्द का भी प्रयोग किया है।
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