सफलता और असफलता - प्रेमानंद महाराज जी

 आज के इस लेख में हम प्रेमानंद महाराज जी द्वारा सफलता और असफलता के बारे में जानेंगे।प्रेमानंद जी ने लगातार होने वाली असफलता व कैसे सफलता प्राप्त हो सकती है,के बारे में बहुत ही सरल शब्दों में बताया है।

Premanand ji image 

असफलता क्यों आती है? - प्रेमानंद महाराज जी

प्रेमानंद जी महाराज ने बार- बार असफल होने पर कहा -"असफलता चार दिन की है,निरंतर असफलता रहे ऐसा संभव नहीं ,रात्रि है तो दिन अवश्य ही होगा।" यदि हमारे अंदर आगे बढ़ने की चाह है,अपने जीवन में कुछ पाने की लालसा है तो असफलताओं से सामना होना लाजमी है। परंतु असफल होने के बाद भी कोई सुधार न कर पुनः प्रयास न करना हमारी दुर्गति का कारण बन सकता है।यह हमारे सपने ,हमारे लक्ष्य से कोसों दूर कर सकता है।प्रेमानंद जी कहते हैं-"असफलता तुम्हारे जीवन की सफलता का स्वरूप बनेगी,डट कर उसका सामना करो और भजन करो।" प्रेमानंद जी ने असफलता और सफलता के बीच भजन को सर्वोपरि रखा है।वो कहते हैं की भजन व नाम जप से हमारे पूर्व के प्रारब्ध नष्ट हो जाते हैं।असफलता हमें गिराने नहीं बल्कि हमें ओर भी ज्यादा मजबूत करने आती हैं। प्रेमानंद जी कहते हैं कि वह अभागा है जिसने भगवान से जो मांगा और तुरंत वह मिल जाए। वह व्यक्ति जिसने असफलता का स्वाद नहीं चखा वह आगे चलकर किसी भी समय गिर सकता है। इसलिए असफलता को खुद की किस्मत समझकर निराश नहीं होना चाहिए।


सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है?- प्रेमानंद जी

असफलता से टूटा व्यक्ति खुद की किस्मत को कोसने लगता है,वह डिप्रेशन में चला जाता है और पुनः उठने और परिश्रम करना छोड़ देता है। ऐसे लोगों को प्रेमानंद जी कहते हैं-"आज सफल नहीं हो रहे हम तो कल जरूर सफल होंगे। ऐसा नहीं है की हमारा हर कर्म निष्फल होता चला जाय।" सफलता उसी की गुलाम होती है जिसके अंदर परिश्रम करने की चाहत होती है।जो परिश्रम ही नहीं करना चाहता उसको कभी भी सफलता हासिल नहीं हो सकती,यदि हो भी गई तो वह क्षणभर के लिए ही होती है। हमारे पूर्व कर्म में इतनी सामर्थ नहीं है की इस जन्म के सुकर्मों को नष्ट कर दे। इस जन्म में भजन के साथ-साथ ,अच्छे कर्म करते आगे बढ़ते चले सफलता खुद हमारे पास चलकर आएगी। अपने कठोर भजन व कर्मों से अपने प्रारब्ध को खत्म कर दो और अपने जीवन का नया अध्याय अपनी सफलता से लिखो।


सफलता व असफलता से संबंधित प्रेमानंद जी के कथन- 

  • "सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी, प्रारब्ध कोई देवता नही है, हमारा किया हुआ पूर्व कर्म है। हम नया कर्म इतना बलवान करें उसको रौंद दें।उसके लिए अब डटकर भजन और डटकर धर्म में रहकर परिश्रम करना होगा।"
  • "आज हम सफल नहीं है तो सफल होंगे,ऐसा नहीं है की हमारा हर कर्म निष्फल होता चला जाए।"
  • "असफलता तुम्हारे जीवन की सफलता का स्वरुप बनेगी,बस डटकर ऐसा भजन करो, सत्कार्य करो।"
  • "नौकरी हो या किसानी या किसी भी प्रकार का व्यापार उसमें अपना उत्साह कभी टूटने नहीं देना चाहिए।"
  • "आप प्रयास कीजिए सफलता उसके(भगवान) हाथ में है,वो क्या बनाना चाहता है,क्या करना चाहता है वो खुद जनता है।"

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